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ख़ुदको सज़ा देते है

मुहब्बत में लोग "निक्क"  कहाँ वफ़ा देते है,
हम अपने  ज़ख्मों को खुद ही हवा देते है।
वैसे अच्छा नहीं होता वक़्त बेवक़्त रोना,
और हम ऐसा करके ख़ुदको सज़ा देते है।।

स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
दिनाँक : 07 सितम्बर 2023©

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4 Comments

Abhinav ji

08-Sep-2023 09:45 AM

Very nice

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बेहतरीन

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Reena yadav

07-Sep-2023 10:17 PM

👍👍

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